जानिए माता दुर्गा के नौ रूपों के बारे में और उनके पूजन मंत्र के बारे में जो अभी तक आपको नही पता होगा ।

नवरात्रि सकारात्मकता का त्योहार है। माता  दुर्गा के भक्तगण नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और पूरे तन मन से देवी माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं। इनके नामों और रूपों की उपासना नवरात्रि में की जाती है। आज हम आपको माता दुर्गा के इन्हीं नौ रूपों के नाम और इनके पूजन मंत्र बताएंगे।

जानिए माता दुर्गा के नौ रूपों के बारे में और उनके पूजन मंत्र के बारे में जो अभी तक आपको नही पता होगा ।
माता दुर्गा

1. माता शैलपुत्री

यह माता दुर्गा के नो रूपों का पहला  रूप है। माता शैलपुत्री को भारतीय सुंदरता का प्रतीक माना जाता है और हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली देवी में से एक माना जाता है। उन्हें शक्ति की एक रहस्यमय अभिव्यक्ति माना जाता है, जो एक दिव्य स्त्री ऊर्जा है जो हर महिला के अंदर रहती है.

मां शैलपुत्री की पूजा लंबे समय से हिंदुओं द्वारा इच्छाओं की पूर्ति और वरदान देने के लिए की जाती रही है। वह भारतीय सुंदरता का प्रतीक है और हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली देवी-देवताओं में से एक है।

माता शैलपुत्री का पूजन मंत्र

वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम।
वृषारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।

2. माता ब्रह्मचारिणी

यह माता दुर्गा के नो रूपों का दूसरा रूप है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानि तप का आचरण करने वाली माता बताया गया है। तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।

माता ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र

दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

3. माता चंद्रघंटा

यह माता दुर्गा के नो रूपों का तीसरा रूप है। घर में इनकी पूजा करने से वीरता, निर्भयता, धन के साथ ही सौम्यता का प्रसार होता है। इनका वाहन शेर है। राक्षस महिषासुर का वध देवी माता चंद्रघंटा ने ही किया था। उसके कई अलग-अलग नाम हैं जिनमें उबोसोदरी, निकेनंगगी-मानिस, सुक्रेस्नी-देवी शामिल हैं

माता चंद्रघंटा का पूजन मंत्र

पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

4. माता कूष्मांडा

यह माता दुर्गा के नो रूपों का चोथा रूप है। माता कूष्मांडा की पूजा करने से यश, आयु और आरोग्य की वृद्धि होती है।

माता कूष्मांडा का पूजन मंत्र

सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।

5. माता स्कंदमाता

यह माता दुर्गा के नो रूपों का पांचवा रूप है। भगवान भोलेनाथ और माँ पार्वती के छह मुखों वाले पुत्र स्कंद की मां होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी पूजा से इंसान के मोक्ष का मार्ग आसान होता है।

माता स्कंदमाता का पूजन मंत्र

सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।

6. माता कात्यायनी

यह माता दुर्गा के नो रूपों का छठा रूप है। कात्यायनी हिंदू पौराणिक कथाओं की देवी हैं। उन्हें दवा और उपचार की देवी के रूप में पूजा जाता है, खासकर सर्पदंश से पीड़ित लोगों के लिए। इनकी पूजा करने से चारों पुरुषार्थों जैसे  धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माता कात्यायनी का पूजन मंत्र

चंद्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातिनी।।

7. माता कालरात्रि

यह माता दुर्गा के नो रूपों का सातवां रूप है। माता कालरात्रि असुरों का नाश करने वाली हैं। इनके तीन नेत्र और चार भुजाएं हैं।

माता कालरात्रि का पूजन मंत्र

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।

वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।

8. माता महागौरी

यह माता दुर्गा के नो रूपों का आठवां रूप है। इनका वर्ण गौर है, इसलिए ये माता महागौरी कहलाती हैं। नवरात्रि के आठवे दिन माता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

माता महागौरी का पूजन मंत्र

श्र्वेते वृषे समारूढा, श्र्वेतांबरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।

9. माता सिद्धिदात्री

यह माता दुर्गा के नो रूपों का नवां रूप है। जिनकी आराधना से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है शास्त्रों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नाम की आठ सिद्धियां बताई गई हें। इन सिद्धियों को मां सिद्धिदात्री की पूजा से प्राप्त किया जा सकता है।

माता सिद्धिदात्री का पूजन मंत्र

सिद्धंगधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।